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Blog / 28 Aug 2018

(Global मुद्दे) बांग्लादेश में चीन का बढ़ता प्रभाव और भारत पर इसका असर  (Growing influence of China in Bangladesh and it's impact on India)

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(Global मुद्दे) बांग्लादेश में चीन का बढ़ता प्रभाव और भारत पर इसका असर
 (Growing influence of China in Bangladesh and it's impact on India)


सन्दर्भ:

पाकिस्तान मालद्वीव, नेपाल और श्रीलंका में पैर पसारने के बाद चीन अब बांग्लादेश में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है।बांग्लादेश में चीन बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है।बांग्लादेश के निर्माण मैं भारत की अहम भूमिका रही है। पिछले 40-45 वर्षों मैं बांग्लादेश के भारत के साथ मज़बूत आर्थिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं। चीन की बांग्लादेश में सक्रियता ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शैख़ हसीना ने कहा है ढाका और चीन के बीच बढ़ते सम्न्बंधों पर भारत को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्यूंकि ये रिश्ते सिर्फ बांग्लादेश के विकास के लिए किये जा रहे हैं। चीन बांग्लादेश के साथ सैन्य संबंध मज़बूत करने की बात भी कह चूका है।

क्यों बढ़ा रहा है चीन बांग्लादेश में अपना प्रभाव:

चीन बांग्लादेश की फौज को सन् 1975 के बाद से ही हथियार और प्रशिक्षण दे रहा है । शेख मुजीबुर्ररहमान के बाद ज्यादातर सरकारें या तो पाकिस्तान परस्त या चीन परस्त रही हैं। चीन की जड़ें बांग्लादेश में काफी पुरानी हैं । चीन की रणनीति पूरे दक्षिण एशिया में जोर शोर से निवेश करने की रही है । तिब्बत और शिनजियांग को लेकर चीन का दक्षिण एशिया में ख़ास लगाव रहा है। चीन को आर्थिक स्थिति की बेहतरी के वास्ते दक्षिण एशिया में प्रभुत्व जमाना होगा। दक्षिण एशिया में कुल 1.6 बिलियन लोग जो औसतन 6 फीसदी की गति से बढ़ रहे हैं। इसलिए चीन दक्षिण एशिया में अपनी जड़ें फ़ैलाने के कयास में है ।

इसमें कोई दो राय नहीं है की चीन का मक़सद सुपरपावर बनने का है इसके अलावा अमेरिका के प्रभाव को कम करना भी उसका एक मक़सद रहा है। इसके अलावा चीन के संविधान में ग्लोबल डोमिनेन्स का जिक्र भी है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन के प्रसार से भारत की चिंता बढ़ेगी और भारत भी खुद को दक्षिण एशिया में फ़ैलाने का प्रयास करेगा । यहाँ पर यह गौरतलब है कि चीन और भारत के बीच कुछ अनसुलझे मुद्दे हैं जिसकी वजह से दोनों की विदेश नीति में भिन्नता है इसके अलावा चीन का सैन्य एवं आर्थिक बल भारत की तुलना में अधिक है । इसलिए चीन और चीन की गतिविधियों से भारत के लिए विदेश नीति में एक चुनौती खड़ी होगी ।

भारत बांग्लादेश सम्बन्ध:

भारत बांग्लादेश के साथ सबसे लम्बी सीमा बनाता है इसके अलावा दक्षिण एशिया के देशों में बांग्लादेश के सबसे करीब है भारत । ऐसे में चीन का बांग्लादेश में 30 अरब डाॅलर का निवेश और उसकी प्राइवेट कंपनियों द्वारा 10-12 अरब डालर का निवेश करना चीन की बांग्लादेश में बढ़ती गतिविधियों का सबूत है ।भारत का डर है की कहीं चीन की वजह से बांग्लादेश से उसकी दोस्ती न खराब हो जाये हालाँकि भारत खुद भी चीन का निवेश चाहता है तो बांग्लादेश में भारत द्वारा चीन के निवेश पर सवाल उठाना तर्कसंगत नहीं होगा । हालाँकि शेख हसीना ने भारत को अपने बढ़ते चीन से रिश्तों को लेकर चिंता न करने का आश्वासन दिया है ।

चीन के प्रभाव से BNP ज्यादा स्ट्रांग होगी इसका डर शेख हसीना को है इसका कारण पूर्व में BNP की सरकार के चीन से अच्छे ताल्लुकात होना है । लेकिन चीन से सम्बन्ध बढ़ाना बांग्लादेश की मज़बूरी भी है क्यूंकि पूर्व में चटगांव पोर्ट के आधुनिकीकरण को बांग्लादेश ने टाल दिया है और मंगला पोर्ट और पद्मा ब्रिज के लिए पश्चिमी देशों की सहायता को भी बांग्लादेश ने नकार दिया है। ऐसे में चीन के द्वारा बांग्लादेश में निवेश इन रुके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए एक बड़ी मदद होगी ।

आज़ादी के बाद से हमारे पड़ोसी देशों में भी आंतरिक कलहे रही हैं। खलिदा जिया की सरकार में भारत बांग्लादेश के रिश्ते काफी खराब हो गए थे लेकिन शेख हसीना के पिछले दो कार्यकालों में भारत बांग्लादेश के रिश्ते काफी आगे बढ़े हैं। शेख हसीना की सरकार ने बांग्लादेश में पल रहे इंसजेंट्स और उनके सेफ हेवेन्स का सफाया किया इसके अलावा भारत बांग्लादेश की सीमा पर पल रहे आतंकवाद पर भी काफी हद तक लगाम लगायी है । किन्तु बांग्लादेश में होने वाले चुनाव और एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर की वजह से मौजूदा सरकार चिंतित है ।

पडोसी देशों का चीन की तरफ झुकाव:

भारत के पड़ोसी मुल्कों का झुकाव चीन की तरफ उसकी बेहतर अर्थव्यवस्था के कारण है । भारत चीन से प्रोजेक्ट्स को समय से पूरे करने के मामले में पिछड़ जाता है।इंडिया प्रोमिसेस चीन डेलीवेर्स की कहावत काफी हद तक सही है ।पड़ोसी देशों से किये गए वादों पर खरा नहीं उतर पाता भारत।बांग्लादेश के लोगों में भारत द्वारा वायदे पूरे न करने से रोष रहा है ।पुरानी सरकारों जियाउर्रहमान, खालिदा जिया के भी चीन से सम्बन्ध रहे हैं। दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय देशों के अलावा हिन्द महासागर पर भी कब्ज़ा करने की चीन की कवायद है। ऐसे में चटगांव पोर्ट को विकसित करने की चीन की दिली ख्वाहिश रही है जिसके जरिये वो भारत को घेर सके । इसके अलावा भारत चीन से मिलिट्री पावर, मनी पावर और गवर्नेंस में पीछे है।BCIM प्रोजेक्ट के ज़रिये चीन अपने युनान प्रान्त को बांग्लादेश, म्यांमार, भारत के उत्तरी पूर्व राज्यों से जोड़ना चाहता है । चीन ने पहले ही युनान प्रान्त को को लाओस कंबोडिया और वियतनाम के साथ जोड़ दिया है ।

भारत बांग्लादेश विवाद :

असम में NRC मुद्दा भी दोनों देशों के संबंधों के लिए है अहम् इसके अलावा तीस्ता जल विवाद की मुद्दे पर भी दोनों देशों में खटास रही है ।तीस्ता मुद्दे पर भारत का रुख नहीं साफ हो पा रहा है जिसका कारण कुछ हद तक पश्चिम बंगाल की सरकार भी है । इसके अलावा ये भी गौर किया जाना चाहिए की ब्रह्मपुत्र नदी की जल को लेकर भी चीन बांग्लादेश को भारत की खिलाफ खड़ा कर रहा है हालाँकि सच्चाई ये है की ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर भारत और बांग्लादेश दोनों देशों पर प्रभाव पड़ेगा । जल विवाद को लेकर बांग्लादेश में पुराना इतिहास रहा है । कई राजनीती की मुद्दे जल विवाद पर ही आधारित होते है । ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की चीन ब्रह्मपुत्र नदी की मामले को लेकर कैसे अपने राजनीतिक हितों को साधेगा।

चीन की बांग्लादेश में बढ़ी सक्रियता हालाँकि भारत को परेशां कर सकती है लेकिन जिस तरह से चीन की विरोध में श्रीलंका म्यांमार और अन्य देशों में आवाज़ें उठ रहीं हैं उसे देखकर यह स्पस्ट है की चीन का भविष्य दक्षिण एशिया में बहुत अच्छा नहीं है । ऐसे में भारत को बांग्लादेश में अपने वायदों को पूरा करने पर जोर देना होगा और जल्द से जल्द सभी मुद्दों का निस्तारण करना होगा ऐसा करने से भारत न सिर्फ अपनी छवि को सुधार पायेगा बल्कि वो बांग्लादेश से अपनी पुरानी दोस्ती को भी बचाने में सफल हो जायेगा ।

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